Political Page

Search This Blog

  • Indian Politics

    Indian Politics Face Book page. ...

  • Facebook vs Twitter

    Go to Blogger edit html and replace these slide 2 description with your own words. ...

  • Facebook Marketing

    Go to Blogger edit html and replace these slide 3 description with your own words. ...

  • Facebook and Google

    Go to Blogger edit html and replace these slide 4 description with your own words. ...

  • Facebook Tips

    Go to Blogger edit html and replace these slide 5 description with your own words. ...

  • Slide 6

    Indian Politics Face Book page. ...

  • Indian Politics

    Political Message Face Book page. ...

LK Advani's Blog

LK Advani's Blog


घोटालों के विरूध्द कार्रवाई करने से भारत सरकार का इंकार, भ्रष्टाचार के विरूध्द संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की पुष्टि करने में असफल

Posted: 29 Nov 2010 08:14 PM PST

भारतीय संसद का मानसून सत्र यदि मुख्य रूप से आम आदमी को त्रस्त करने वाली मुद्रास्फीति और आवश्यक वस्तुओं की आकाश छूती कीमतों से उपजे गुस्से पर केन्द्रित रहा तो वर्तमान शीतकालीन सत्र भ्रष्टाचार मुद्दे पर केन्द्रित हो रहा है, और कैसे एक के बाद एक घोटालों से देश के नाम पर कीचड़ उछल रही है। अनेकों को शायद यह पता नहीं होगा कि सन् 2004 में संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स और क्राइम कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime) ने भ्रष्टाचार के विरूध्द एक समग्र कन्वेंशन औपचारिक रूप से अंगीकृत किया गया था।

 

56 पृष्ठीय दस्तावेज में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव श्री कोफी अनन सशक्त प्रस्तावना थी, जो कहती है :

 

      भ्रष्टाचार एक घातक प्लेग है जिसके समाज पर बहुव्यापी क्षयकारी प्रभाव पड़ते हैं :

 

      -     इससे लोकतंत्र और नियम का शासन खोखला होता है।

      -     मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर रास्ता बढ़ता है।

      -     विकृत बाजार।

      -     जीवन की गुणवत्ता का क्षय होता है।

      -     संगठित अपराध, आतंकवाद और मानव सुरक्षा के प्रति खतरे बढ़ते हैं।

 

भ्रष्टाचार के विरूध्द इस कन्वेंशन के अनुच्छेद 67 के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र  के सभी सदस्य देष इसे स्वीकृति देंगे, तत्पश्चात् शीघ्र ही सम्बन्धित देश इसे पुष्ट करेंगे और स्वीकृति पत्र संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के पास जमा कराएंगे।

 

प्रत्येक वर्ष सांसदों का एक समूह संयुक्त राष्ट्र की कार्यवाही में भाग लेने हेतु जाता है। इस वर्ष हमारी पार्टी के सांसद, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शांता कुमार ने भाजपा संसदीय दल की पिछले सप्ताह मंगलवार की बैठक में बताया कि 140 देशों ने इस कन्वेंशन पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, 14 ने अभी तक इसकी अभिपुष्टि नहीं की है। और मुझे यह कहते हुए दु:ख होता है कि इन चौदह में से भारत भी एक है।

 

सन् 2009 के लोकसभाई चुनाव अभियान के दौरान भाजपा ने भारत से अवैध ढंग से धन को आयवरी कोस्ट,  लीसटेनस्टीन जैसे टैक्स हैवन्स में ले जाए जाने का मुद्दा उठाया था। इस संदर्भ में सबसे ज्यादा स्विटरजरलैण्ड का नाम लिया जाता है।

 

इसलिए मुझे यह जानकर अच्छा लगा कि संयुक्त राष्ट्र में जब स्विटजरलैण्ड के प्रतिनिधि भ्रष्टाचार के मुद्दे विशेषकर अवैध सम्पत्ति के बारे में वैश्विक संस्था में बोले तो वह स्पष्टता से बोले। उनका वक्तव्य यहां विस्तृत रूप से उदृत करने योग्य है।

 

संयुक्त राष्ट्र में स्विटजरलैण्ड के स्थायी मिशन का प्रतिनिधित्व करने वाले श्री मथाइस बच्मैन, सामान्य सभा के 65वें सत्र में 20 अक्तूबर, 2010 को बोले और कहा:

 

भ्रष्टाचार से आर्थिक वृध्दि और विकास को गंभीर खतरा पैदा होता है। यद्यपि भ्रष्टाचार सीमित संख्या में लोगों को अमीर बनाता है परन्तु यह समाज, अर्थव्यवस्था और राज्य नाम की संस्था के ताने-बाने को कमजोर करता है।

 

इस समस्या से गहन चिंतित स्विटजरलैण्ड ने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दृढ़ कार्रवाई की है। यह कार्रवाई, काले धन को सफेद बनाने तथा संगठित अपराध के विरूध्द लड़ाई के साथ-साथ चल रही है। अक्सर भ्रष्टाचार, संगठित अपराध और काले धन को सफेद बनाने के बीच एक सीधा सम्बन्ध होता है, विशेषकर इस प्रवृति का मुकाबला करने हेतु सरकारों द्वारा स्थापित किए गए तंत्र के संदर्भ में। यही राजनीतिक लोगों द्वारा धन के पलायन, जो अक्सर सुशासन के अभाव से जुड़ता है, पर भी लागू होता है।

 

भ्रष्टाचार के विरूध्द संयुक्त राष्ट्र का कन्वेंशन (UNCAC) अवैध सम्पत्ति की वापसी नियमित करने के अंतरराष्ट्रीय उपायों में से एक मुख्य उपाय है। स्विटजरलैण्ड ने इस कन्वेंशन जो कि सन् 2009 में पुष्ट किया गया, के प्रारूप बनाने और इसे मजबूत करने की प्रक्रिया में सक्रियता से भाग लिया।

 

इसके अलावा, 20 वर्षों से ज्यादा के अनुभव के आधार पर स्विटजरलैण्ड ने UNCAC के वर्किंग ग्रुप की अध्यक्षता की जिसके चलते सम्पत्ति को वापस पाने की प्रक्रिया अपनाई गई। सम्पत्ति वापस पाने के क्षेत्र में स्विटजरलैण्ड ने अत्यन्त दृढ़ता के साथ काम किया और अब यह ऐसा देश है जिसने राजनीतिकों द्वारा चुराई गई सम्पत्ति को बहुतायत संख्या में वापस किया है। व्यवहार में, सम्पत्ति की वापसी में उसे चिन्हित और समय से अवैध सम्पत्ति को जब्त करने के उद्देश्य से बहुत निवारक कदम उठाने पड़ते हैं।

 

निवारक कामों की अंतत: उपयोगिता घनिष्ठ अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर निर्भर करती है। विशेष रूप से वित्तिय संस्थानों और अंतरराष्ट्रीय कानूनी सहायता से नियमन-इन दोनों की तत्परता से क्रियान्वयन काले धन को सफेद बनाने के विरूध्द लड़ाई की प्रभावोत्पादकता की गारण्टी का मुख्य तत्व है।

 

अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रभावकारिता अंतत: राजनीतिक इच्छा शक्ति और राष्ट्रीय प्राधिकारों की दृढ़ता पर निर्भर करती है।

 

अवैध सम्पत्ति के सिलसिले में, सितम्बर 2010 में स्विस संसद ने एक कानून पारित कर उन देशों के लोगों को सम्पत्ति लौटाने हेतु और सुविधा दी है जहां से सम्पत्ति बेईमानी से लाई गई। यह उदाहरण बताता है कि सम्पत्ति के गबन के विरूध्द लड़ाई राष्ट्रीय संसदों द्वारा उठाए गए विशिष्ट कदमों पर निर्भर करती है।

 

स्विस बैंक एसोसिएशन के मुताबिक प्रसिध्द यूनियन बैंक ऑफ स्विटजरलैण्ड (UBS) में काला धन जमा करने वालों की सूची में भारतीय शीर्ष पर हैं।

 

भाजपा इस अवैध धन के विरुध्द काफी समय से अभियान चलाए हुए है। सन् 2009 के लोकसभाई चुनावों में इसने इसे मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था। शुरु में ही कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे को उठाने पर भाजपा का मजाक उड़ाया था। लेकिन समय गुजरने के साथ ही भाजपा की यह मांग लोकप्रिय मांग बन गई। तब प्रधानमंत्री भी इसके सर्मथन में बोले।

 

उसी वर्ष, इस मुद्दे पर सतत् अध्ध्यन करने और मुद्दे को मुूखर करने के लिए हमने एक कार्य दल (task force) का गठन किया था। जिसमें यह गणमान्य व्यक्ति थे: 1) श्री.एस. गुरुमूर्ति (चार्टर्ड एकाउटेंट और खोजपरक लेखक चेन्नई); 2) श्री अजीत डोभाल (सुरक्षा विशेषज्ञ नई दिल्ली); 3) डा. आर वै्द्यनाथन (वित्ता प्रोफेसर, भारतीय प्रबंध संस्थान, बंगलुरु)।

 

इस कार्यदल द्वारा प्रकाशित एक ताजा प्रकाशन में अनुमान लगाया गया है कि विदेशों के टैक्स हैवन्स में 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर (25 लाख करोड़ रुपए) से 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (70 लाख करोड़ रुपए) के बीच भारतीय धन ले जाया गया है। प्रकाशन कहता है: लूट  का गणित विवादास्पद हो सकता है लेकिन लूट का तथ्य नहीं।

 

25000-crore जैसाकि संयुक्त राष्ट्र में स्विस प्रतिनिधि ने ठीक ही कहा कि सम्पति वापस लाने हेतु  अतंरराष्ट्रीय सहयोग की भावकारिता राजनैतिक इच्छा और राष्ट्रीय सरकारों की कार्रवाई करने की दृढ़ता पर निर्भर करती है।चुनाव अभियान के दौरान प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की थी कि विदेशी बैंकों में जमा  भारतीय सम्पत्ति के सम्बन्ध में कार्रवाई उनके शासन में लौटने के पहले 100 दिनों में होगी। 500 से ज्यादा दिन बीत चुके हैं और अभी तक इस सम्बंध में कोई हलचल नहीं है। कारण राजनैतिक इच्छा का नितांत अभाव होना है।

 

इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि भ्रष्टाचार के विरुध्द  संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन की  पुष्टि नही हो पायी है। संसद का कामकाज पिछले दो सप्ताहों से बंद पड़ा है। लेकिन सरकार समूचे विपक्ष की सर्वसम्मत मांग कि - हाल ही में सामने आये भ्रष्टाचार के कांडों की जांच हेतु संयुक्त संसदीय समिति गठित किए जाने को स्वीकारने से मना कर रही है।

 

देश भारत सरकार से अपेक्षा करता है कि:

 

- भ्रष्टाचार के विरूध्द संयुक्त राष्ट्र कन्वेन्शन की पुष्टि की जाए

- हाल ही में उजागर हुए घोटालों की जांच हेतु संयुक्त संसदीय समिति गठित की जाए।

-  सभी दोषियों को दण्डित किया जाए।

- और अंतत: डा0 मनमोहन सिंह द्वारा लोकसभाई चुनाव  अभियान के दौरान किए गए वायदे को  पूरा किया जाए कि-हमारे देश से चुराकर विदेशों के टैक्स हैवन्स में जमा कराए गये अनगिनत धन को वापस लाएगी।

 

 

लालकृष्ण आडवाणी

28 नवम्बर, 2010

नई दिल्ली

0 comments: